वदामस्ते मातः श्रुति मुखकरं नामललितं लसन् मात्रावर्णं जगति बगळेति प्रचरितं । चलंतः तिष्ठंतो वयं उपविशंतोऽपि शयने भजामोयत् श्रेयो दिवि दुरवलभ्यं दिविषदाम् ।। यह देवी मुख्यतः स्तम्भन कार्य से सम्बंधित हैं फिर वह शत्रु रूपी मनुष्य, घोर प्राकृतिक आपदा, अग्नि या अन्य किसी भी प्रकार का भय ही क्यों न https://www.youtube.com/@Mahavidyabaglamukhi
Facts About Mahavidya baglamukhi Revealed
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